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Wednesday, 8 November 2017

रामचरन की नौटंकी



ओक्का बोक्का तीन तोलक्का की आवाज सहसा लोगो के कानो मे गई सब के अन्दर ऊर्जा का संचार हो गया लगा की कठोर मेनहत के बाद भी सब उत्तेजित हो गयें और हो भी क्यों ना रामचरन का नौटंकी जो चालू हो गया था। क्या बच्चे क्या बूढे सब के सब थिरकने लगे, ढपली की आवाज लोगो को नया ऊर्जा देने लगी थी। रामचरन अपने ही लहजे में कमर हिलाकर सम्मी कपूर को भी शर्मिंदा कर देने वाला नृत्य दिखाना चालू किये वाह, हम भी छुटकू से थे पर सबसे आगे वाली लाईन में खड़े हो नौटंकी का मजा ले रहे थे। गांव मे कोई भी त्योहार हो विवाह हो रामचरन को ही समां बाँधने के लिये बुलाया जाता था। हमारा बचपन रामचरन का नौटंकी देखते हुए बीता कहाँ आजकल लोग शाहरुख और सलमान के फैन हैं इधर हम रामचरन के फैन थे। समय बीता गाँवो मे भी आधुनिकता ने पैर पसारा टेलीवीजन, डीजे आदि आ गये लोग रामचरन को भूलने लगे और अन्त मे एक वक्त आया जब नौटन्की होती क्या है लोगो को पता ही ना रहा। रामचरन भी कहाँ चले गये कोई खबर ना रही. नौटंकी एक अति प्राचीन विधा है रंगमंच की जो एक अद्भुत् ऊर्जा देती है परन्तु ना अब वो नट (नौटन्की करने वाले) रहें ना रामचरन अब रही तो शीला की जवानी, मुन्नी की बदनामी, वाह आधुनिकता और इसको अपना के अपनी पहचान खोने वाले लोग.
शिवम् दूबे

wikimediacommons- DevendraSharma

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