नलदुर्ग (उस्मानाबाद)
मिशन उस्मानाबाद- भाग 1
महाराष्ट्र के उस्मानाबाद में वैसे तो कई पुरास्थल मौजूद हैं। यहीं के परांदा किले से विश्व प्रसिद्द मलिक ए मैदान तोप का निर्माण हुआ था जो की अब बीजापुर में स्थित है। परन्तु यहीं उस्मानाबाद में एक किला मौजूद है जो की आज तक के मेरे देखे हुए किलों में सबसे उत्क्रिस्ट व सुंदर लगा | यह माना जाता है की इसका निर्माण राजा नल ने सर्वप्रथम करवाया था तथा इसी वजह से इसका नाम नलदुर्ग पड़ा। इसके बनने का काल कल्याणी के चालुक्यों के समय से है, कालांतर में बहमनी काल में व आदिल शाही शासकों के समय में इस दुर्ग को कई स्थापत्य कला के नमूनों से सजाया गया जिसमे इसमें निर्मित जलदुर्ग व नव बुर्ज शामिल हैं चित्रों मे नव बुर्ज व जल दुर्ग को दिखाया गया है|
वास्तविकता में यह किला अपनी स्थापत्य कला के लिए विश्व स्तरीय रूप से उत्तम है, परन्तु करेंगे क्या आज यही अपने वजूद को बचा पाने में असफल हो रहा है, सरकार व इसके संरक्षण कर्ता कुम्भकर्ण बने सो रहे है| और यह अपने स्वर्णिम इतिहास के पन्नों को बचा नहीं पा रहा है। इस किले का भ्रमण करते हुये यह लगता है कि शायद दो दिन भि इस किले को घूमने के लिये कम हैं। प्राकृतिक सुन्दरता के साथ-साथ यह किला स्थापत्य व अन्य कई कहानियाँ अपने अंदर बसा कर रखा है। इस किले के अंदर एक नदी बहती है जिसपर जलमहल का निर्माण किया गया है तथा इस किले के एक तरफ खाई है जो वाह्य आक्रमणों से इस किले की सुरक्षा करता था। इस किले के उपली बुर्ज पर तीन तोप रखने का स्थान है जो लम्बी दूरी पर तोप के गोले को दागने मे सक्षम थी। यह किला वास्तविकता मे भारत का एक महत्वपूर्ण किला है, तथा व्यक्ति को अपने जीवन काल मे एक बार यहाँ जाना चाहिये।