जौनपुर एक खोज भाग - 2
जौनपुर गायन कला का केन्द्र रह चुका है अपने स्वर्णिम काल में तथा यहीं पर जौनपुर तोड़ी व राग जौनपुरी का उद्भव हुआ है। संगीत के दृष्टिकोंण से यह सम्पूर्ण भारत मे जाना जाता है। यहाँ के शासक हुसैन शाह खुद एक विशिष्ट लेखक होने के साथ-साथ एक उत्कृष्ट श्रेणी के संगीतकार भी थे तथा उन्हें ही राग जौनपुरी का जनक माना जाता है। यहाँ की गायकी सुबह की गायकी के एक रूप में विकसित हुयी। हुसैन शाह ने उत्तर भारत को गायकी के एक नए रूप से नवाजा तथा यहीं से संगीत का यह नया प्रकार ग्वालिअर के राजा मान सिंह तोमर (1468-1517) ने भी अपने यहाँ की गायकी में सम्मलित किये, दिल्ली सल्तनत में भी राग जौनपुरी का एक महत्वपूर्ण स्थान ग्रहण किया था। यहाँ की सांस्कृतिक व पुरातात्विक विरासत को बयाँ करती मेरी यह कविता है, उम्मीद करता हूँ की आपको यह पसंद आयेगी।
किला नही है केवल ये, ये है एक इतिहास |
आज कल लोगो कि करतूते कर रही है इनका परिहास||
क्या कभी सोचा था फिरोज ? कि एेसा वक्त आयेगा|
जब इन्सान केवल कचरा फैलाने इस किले मे जायेगा ||
१५वीं शताब्दी मे बन कर यह तैयार हुयी |
चुनार से लाये बलुयी पत्थर इसकी अंग बनी||
समय बीत गया नये साम्राज्य का उदय हुआ |
सर्की शासक ने इसका अच्छे से जिर्णोद्धार किया ||
हमाम जोकी आज भूलभुलैया नाम से जाना जाता है |
तुर्की वास्तुकला का एक बेहद बढिया नमूना माना जाता है ||
मस्जिद बीच मे बनी हुई है स्तम्भ भी है इसके आगे खड़ा हुआ |
बंगाल की वास्तुकला से है इसका निर्माण हुआ ||
कला के अद्भुत सहयोग से ये किला है बना हुआ |
सिकन्दर लोदी ने इसपर आक्रमण कर अधिकार किया ।।
किले के अन्दर बने ढाँचो का वो संघार किया |
समय बीता अकबर का उदय हुआ ।।
इस किले के पुनः निर्माण का उसने फिर आदेश दिया |
प्रमुख द्वार का निर्माण अकबर ने करवाया ||
लाजवर्द जैसे पत्थरों से इसको सजवाया |
प्रमुख द्वार के बाहर फिर उसने एक स्तम्भ लगवाया ||
हिन्दू मुस्लिम को बिना परेशानी के किले मे जाने की आज्ञाँ खुदवाया |
अकबर ने बगल मे इसके शाही पुल भी बनवाया ||
व्यापारियों को गोमती पार करने का सुगम राह दिखाया |
आज कवि शिवम् सुना रहा है इसकी गजब कहानी ||
लोग सुनो बस ध्यान लगाये दो इसको पहचान |
ना तोड़ो इसको ना फैलाओ कचरे का बड़ा अम्बार ||
स्वच्छ साफ रखो इसको |
बढाओ इसकी शान, ये है जौनपुर की पहचान ये है देश की शान...