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Tuesday, 12 September 2017

शाही किला का स्वर्णिम इतिहास "काव्य"

जौनपुर एक खोज भाग - 2 



जौनपुर गायन कला का केन्द्र रह चुका है अपने स्वर्णिम काल में तथा यहीं पर जौनपुर तोड़ी व राग जौनपुरी का उद्भव हुआ है। संगीत के दृष्टिकोंण से यह सम्पूर्ण भारत मे जाना जाता है। यहाँ के शासक हुसैन शाह खुद एक विशिष्ट लेखक होने के साथ-साथ एक उत्कृष्ट श्रेणी के संगीतकार भी थे तथा उन्हें ही राग जौनपुरी का जनक माना जाता है। यहाँ की गायकी सुबह की गायकी के एक रूप में विकसित हुयी। हुसैन शाह ने उत्तर भारत को गायकी के एक नए रूप से नवाजा तथा यहीं से संगीत का यह नया प्रकार ग्वालिअर के राजा मान सिंह तोमर (1468-1517) ने भी अपने यहाँ की गायकी में सम्मलित किये, दिल्ली सल्तनत में भी राग जौनपुरी का एक महत्वपूर्ण स्थान ग्रहण किया था। यहाँ की सांस्कृतिक व पुरातात्विक विरासत को बयाँ करती मेरी यह कविता है, उम्मीद करता हूँ की आपको यह पसंद आयेगी।



किला नही है केवल ये, ये है एक इतिहास |
आज कल लोगो कि करतूते कर रही है इनका परिहास||

क्या कभी सोचा था फिरोज ? कि एेसा वक्त आयेगा|
जब इन्सान केवल कचरा फैलाने इस किले मे जायेगा ||

१५वीं शताब्दी मे बन कर यह तैयार हुयी |
चुनार से लाये बलुयी पत्थर इसकी अंग बनी||

समय बीत गया नये साम्राज्य का उदय हुआ |
सर्की शासक ने इसका अच्छे से जिर्णोद्धार किया ||

हमाम जोकी आज भूलभुलैया नाम से जाना जाता है |
तुर्की वास्तुकला का एक बेहद बढिया नमूना माना जाता है ||

मस्जिद बीच मे बनी हुई है स्तम्भ भी है इसके आगे खड़ा हुआ |
बंगाल की वास्तुकला से है इसका निर्माण हुआ ||

कला के अद्भुत सहयोग से ये किला है बना हुआ |
सिकन्दर लोदी ने इसपर आक्रमण कर अधिकार किया ।।

किले के अन्दर बने ढाँचो का वो संघार किया |
समय बीता अकबर का उदय हुआ ।।

इस किले के पुनः निर्माण का उसने फिर आदेश दिया |
प्रमुख द्वार का निर्माण अकबर ने करवाया ||

लाजवर्द जैसे पत्थरों से इसको सजवाया |
प्रमुख द्वार के बाहर फिर उसने एक स्तम्भ लगवाया ||

हिन्दू मुस्लिम को बिना परेशानी के किले मे जाने की आज्ञाँ खुदवाया |
अकबर ने बगल मे इसके शाही पुल भी बनवाया ||

व्यापारियों को गोमती पार करने का सुगम राह दिखाया |
आज कवि शिवम् सुना रहा है इसकी गजब कहानी ||

लोग सुनो बस ध्यान लगाये दो इसको पहचान |
ना तोड़ो इसको ना फैलाओ कचरे का बड़ा अम्बार ||

स्वच्छ साफ रखो इसको |
बढाओ इसकी शान, ये है जौनपुर की पहचान ये है देश की शान...



Friday, 8 September 2017

जौनपुर का शाही किला


जौनपुर एक खोज भाग 1


दीवारें भी कुछ कहती हैं



                                             जौनपुर के बारे मे तीन चीजें मशहूर हैं 





                                                      "इश्क, इत्र, और इमरती "





                             पर इनके अलांवा जो मशहूर है वो है यहाँ की भवन निर्माण शैली 







तो आइये पढते हैं यहाँ के शाही किले का हाल 

शाही किले की ये दीवारें सहसा ही अपने बीते हुये कल की याद दिला जाती हैं।
कितने ही मौसम बदले, नये लोग आये पुराने गये, पर ये अपने स्थान पर अडिग होकर अपनी शौर्य गाथा का गान कर रही है।






बलुये पत्थर को तराश कर जब कारीगर ने बनाया होगा तब उसे भी शायद ही एेसा लगा होगा की भविष्य मे इस अद्भत कारीगरी को समझने मे लोग कई साल लगा देंगे। तब उन बेचारों को क्या पता होगा कि उनके इस निर्माण पर लोग पि.एच.डी करेंगे और उनके सरल कला का बड़का भारी कर के प्रस्तुत करेंगे। उनको क्या पता था की बड़ा बड़ा शब्द उनके निर्माण को दिया जायेगा। यह भी उसको शायद ही पता होगा की ये शानदार किला ज्यादातर लोगो के लिये मात्र घूमने की जगह रह जायेगा व अपनी प्रेमिका को यहाँ पर ला कर कुछ खुशनुमा पल गुजारने का स्थान मात्र रह जायेगा।  

कभी उस झरोखे मे खड़े होकर यहाँ का शासक जामा मस्जिद का दीदार करता होगा पर आज  बंटी अपनी बबली की याद में उसी झरोखें मे दुद्धी से आई लव यू बबली की तकसीदे लिख रहा है। इस किले की हर पत्थर कुछ ना कुछ कहानी बयां करती है। चुनार की पहाड़ियों से जब पत्थरों को यहाँ लाया जा रहा होगा तो किसी को पता नही होगा की कौन से पत्थर का कौन सा टुकड़ा कहाँ लगेगा।

 सच है दीवार बात करती हैं बस आपकी नजर दिमाग और दिल ईन्हे सुने। किले की इन मिनारों ने कितने ही युद्ध का सामना किया है पर आज भी जिस दृढता के साथ ये अडिग बनी है। इसकी मजबूत नीव व कारीगरी का शानदार नमूना पेश करती हैं। सच है शाही किला अपने शौर्य की गाथा अनिश्चित काल तक गाती रहे यही कामना है मेरी।  कई वंशो के सुल्तानो ने इस भव्य किले को सजाया संवारा। लोदियों द्वार ध्वंसित होने के बाद अकबर जैसे बादशाह ने इसका जिर्णोध्धार कराया यही नही गोमती के दूसरे किनारे को जोड़ने हेतु शाही पुल (अकबरी पुल) का निर्माण भी कराया।  जौनपुर के बारे मे विदेश से आये घुमक्कड़ों ने बड़ी प्रशंसनीय वाक्यों को लिखा, रडयार्ड किपलिंग ने यहाँ पर कविता का भी लेखन किया, विश्व के महान चित्रकार डेनियल्स ने यहाँ के इमारतों पर चित्र भी बनाये पर आज यह शहर मरने की ओर अग्रसर है सिर्फ हमारी बचकानी हरकतों की वजह से। 
दुआ करता हूँ की यह शहर फिर से खड़ा हो और अपनी शौर्य गाथा गाये।  

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